‘न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी’ इस कहावत या मुहावरे का मतलब ये है कि किसी काम को पूरा करने के लिए न तो इतना सामान होगा और न ही वो काम पूरा होगा. सीधे शब्दों में कहें तो किसी काम के लिए पर्याप्त चीज नहीं होगी और जब चीज ही नहीं होगी तो काम पूरा ही नहीं होगा.
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